प्लाज्मा थेरेपी: भारत में कोविद-19 समाधान
प्लाज्मा थेरेपी: वर्तमान समय में हम बेहद ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं कोविड-19 का खतरा आज पूरे विश्व में मंडरा रहा है। ऐसे में पूरा देश एकजुट होकर इस बीमारी पर विजय प्राप्त करने के लिए संघर्षरत है। डॉक्टर भी इसका इलाज ढूंढ पाने में अभी तक कोई विशेष सफलता नहीं मिली है। जिससे भारी जन, धन की हानि हो रही है। हालांकि इसी बीच एक उम्मीद की किरण नजर आई है। दिल्ली के अनेकों अस्पताल में डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी के द्वारा मरीजों को ठीक करने की मुहिम में लगे हुए हैं। जिसका परिणाम संतुष्टिजनक देखने को मिला।
यदि थेरेपी क्लिनिकली सफल साबित हुई। तो कोविड-19 पूर्ण से पूर्ण रूप से स्वस्थ हो मरीजों से प्लाज्मा लेकर संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाएगा। मरीजों के ब्लड दान के रूप में लिया जाएगा। एक और महत्वपूर्ण कदम भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से लिया गया अब इस पद्धति के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए संक्रमित मरीजों के ऊपर सापेक्ष रूप से ट्रायल करने के लिए सहमति दे गई है।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है?
कोविड-19 की चपेट में आने वाला रोगी जब पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है। तो उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता पहले अपेक्षा कहीं और अधिक बढ़ जाती है। जिसे हम अन्य शब्दों में प्रतिरोधी एंटीबायोटिक कह सकते हैं, इस एंटीबायोटिक की सहायता से हम अन्य संक्रमित व्यक्ति को प्लाज्मा देकर उनके अंदर भी एंटीबॉडीज की अभिवृद्धि कर सकते हैं। जिससे कि वायरस का अंत हो जाता है, और व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है बेहद अहम बात यह होती है यह तात्कालिक रूप से प्लाज्मा को दिया नहीं जा सकता 14 दिन की अवधि के बाद ही व्यक्ति प्लाज्मा को अन्य व्यक्ति को सौंप सकता है।
प्लाज्मा समृद्ध प्लाज्मा थेरेपी
प्लेटलेट रिच प्लाजमा थेरेपी के माध्यम से कोविड-19 के गिरफ्त में आए रोगी को रोगमुक्त करने में यह पद्धति बेहद ही सहायक सिद्ध हुई है। इससे पहले इस पद्धति का प्रयोग एथलीट के घायल खिलाड़ियों की चोट को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता था। इस बीमारी का जन्म चीन से प्रारंभ हुआ, यदि हम चीन की इलाज पद्धति के विषय में विचार करें, तो वहां पर भी प्लाजमा थेरेपी के द्वारा इलाज को अधिक तवज्जो दिया गया। ऐसे में प्लजमा पद्धति की एकमात्र प्रभावी विकल्प रह जाता है। इस महामारी को मात देने के लिए गिने-चुने उपायों के यह एकमात्र विकल्प शेष रह गया है।

प्लाज्मा पद्धति में होने वाला खर्च वहन
सर्वप्रथम आपको यह जानना जरूरी है , कि यह पद्धति एक आम व्यक्ति के बजट को असंतुलित करने का कारण तो नहीं है। यह किस प्रकार रोगी को पूर्ण रूप से स्वस्थ करने में सहायक है। वैसे तो इससे रोगी शीघ्र ही स्वस्थ हो जाने की पूर्ण संभावना रहती है। परंतु इलाज के दौरान खर्च का वहन करना आम व्यक्ति को संकट में डाल सकता है। प्लाज्मा थेरेपी के लिए व्यक्ति को प्राइवेट अस्पताल का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा ,जिसमें १०००० से लेकर १२००० रुपए तक का बिल बन सकता है। प्राइवेट की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में कम खर्च आता है।
प्लाज्मा पद्धति के द्वारा कोविड-19 का इलाज
इस पद्धति का अन्य रोगों के लिए इलाज के लिए प्रयोग में लाई जा चुकी है। जैसा कि आप जानते होंगे, कि जब कोई वायरस कोई स्वस्थ व्यक्ति पर हमला करता है। तो सापेक्ष रूप से इसका असर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस के प्रभाव को कम करने का काम करती है जिसे एंटीबायोटिक के नाम से जानते हैं। यह एक प्रकार का प्रोटीन होती है।
यदि कोविड 19 के संपर्क में आए किसी व्यक्ति के ब्लड में सर्वाधिक मात्रा में एंटीबायोटिक की अभिवृद्धि हो तो वह वायरस के प्रभाव को कम करने में काफी सहायक है। प्लाजमा थेरेपी के द्वारा इलाज करने का एकमात्र उद्देश्य यह है, कि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास हो सके यहां ब्लड प्लाजमा थेरेपी के द्वारा ही संभव हो सकता है। इसके द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति का रक्त बीमार व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया जाता है|
प्लाज्मा पद्धति के परिणाम
वर्तमान समय की बात करें तो प्लाज्मा पद्धति के द्वारा इलाज के आए नतीजे काफी संतुष्टि जनक है। सर्वप्रथम राजधानी दिल्ली नेपाल प्लाज्मा पद्धति के द्वारा कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने के लिए यह कदम उठाया गया। सरकार के द्वारा सहमति मिलते ही कुछ मरीजों के ऊपर इस पद्धति का सापेक्ष रूप से ट्रायल किया गया, और जल्दी मरीज ठीक होकर अपने घर वापस चला गया। इससे यह तो स्पष्ट हो जाता है कि कोविड-19 के प्रभाव को खत्म करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर साबित होती है।
प्लाज्मा पद्धति में होने वाला खर्च वहन
सर्वप्रथम आपको यह जानना जरूरी है की प्लाज्मा पद्धति एक आम व्यक्ति के बजट को असंतुलित करने का कारण तो नहीं है यह किस प्रकार रोगी को पूर्ण रूप से स्वस्थ करने में सहायक है। वैसे तो इससे रोगी शीघ्र ही स्वस्थ हो जाने की पूर्ण संभावना रहती है। परंतु इलाज के दौरान खर्च का वहन करना आम व्यक्ति को संकट में डाल सकता है। प्लाज्मा थेरेपी के लिए व्यक्ति को प्राइवेट अस्पताल का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा ,जिसमें १०००० से लेकर १२००० रुपए तक का बिल बन सकता है। प्राइवेट की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में कम खर्च आता है।
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